Friday, May 9, 2014

Zehen (Memory)

This one is dedictaed to all those who suffer from Alzheimer's and the pain they have to go through along with their loved ones.






कुछ कहने की कोशिश ,

जुबां से अलफ़ाज़ निकलने को कतराते हैं ,

चेहरे पे इक उलझन नज़र आती है,

जैसे मानो आप कोई पहेली सुलझा रहे हो .



कुछ पढ़ने की कोशिश ,

किताब मानो इक अनसुनी जुबां में लिखी गयी हो ,

न लफ़्ज़ों की समझ , न कहानी का ज़हन ,

आपकी आँखों में एक धुंध सी नज़र आती है



कुछ करने की कोशिश ,

शुरू कहाँ करें , और खत्म कैसे हो ,

भटके हुए से लगते हैं अपने ही घर में ,

खिरकी से बाहर की दुनिया आपको बेहतर नज़र आती है



आप हैं यही पर हैं नहीं ,

कह दीजिये वो बातें अनकही ,

मुनासिब न होगा ये जानते हैं हम ,

एक आस से जीते हैं , ये आस ही सही



-Vikram