Friday, February 20, 2009

फुटपाथ

This piece in hindi is written with a hope that one day there will be no poverty in our country anymore.

तपती धूप की बातें ना करो मुझसे,
मैंने बिताई है ज़िन्दगी सड़कों पर,
फुटपाथों पर मैंने फैलाई है झोली,
सिग्नलों पर थपथपाई मैंने हर कार की खिड्की.

भूक की बातें ना करो मुझसे,
खाली पेट सोयी हूँ दिनों तक,
नज़र रखती हूँ रोज़ उन फेके हुए निवालों पर,
बासी खाने को भी चाव से खाया है मैंने .

इज्ज़त की बातें ना करो मुझसे,
हर तरह की नज़र को देखा है मैंने,
और सबसे जान बचायी है,
हर सिक्के की अहमियत जानी है मैंने.

ज़िन्दगी की बातें ना करो मुझसे,
क्या जाना है तुमने इतना पा कर?
मरने की चाह को रोज़ दबाया है मैंने,
खुद को खुद से लड़ना सिखाया है मैंने.

दुःख की बातें ना करो मुझसे,
सब कुछ खोया है मैंने,
अब लगाव नहीं रहता किसी चीज़ से,
हर मोड़ पर सब गवाया है मैंने .


V.V.Vikram

2 comments:

Zen said...

Love it !

The Inquisitive One said...

beautiful and really touching!! deep and profound thought... one that made me feel, someone on the road or someone's plight moved your soul.